मुख्य संपादक :महेबूब भारती

रमजान के महिने मे अजान का क़क्त न समझे या रोजा खोलने का वक्त न समझे और रोज खोल लीय तो क्या होता है.

रमजान के महिने मे अजान का क़क्त न समझे या रोजा खोलने का वक्त न समझे और रोज खोल लीय तो क्या होता है. 

आप सभी को मालूम हि है के कुछ दिनो बाद रमजान का महिना शुरू होणे वाला है और बहुत से लोगो को रमजान मे बहुत से मासाईल पेश आते है .कभी कभार हमसे जाने अनजाने मे ऐसी गल्तीया हो जाती है जिस से रोजा तूट जाता है . इसलिये हम ने आज से रमजान के मसाईल पर एक सिरीस शुरू कि है जिस मे आपको रमजान के बारे मे मासाऐल बताय जायेगे . 




  • 1).वक्त समज मे ना आने पर रोजा तुटता है या नही ? 

उत्तर :- अगर किसी मओज्जन (अजान देने वाला ) ने ये समझ कर के ग्रूब आफताब (सुरज दूबना) होगया अजान देदी हालाके अभी वक्त नही हुवा था और लोगोने वक्त होने के का यकीन करते हुये अजान सुनकर इफ्तार कर लिया तो रोजा तूट जायेगा ,और रोजा कि कजा (रमजान का महिना होने के बाद रोजा रखना होगा ) जरूरी होगी. 

इस मासले को ऐसे भी देख सकते है . 

अगर अजान सुनने के बाद वक्त होने का यकीन नही हुवा बलके लोग शुबा (शक)मे पड गये के वक्त हुवा या नही इसके बावजूद इफ्तार कर लिया तो अब कजा के साथ कुफ्फारा भी लाजीम है . 


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